Thursday, January 21, 2010

Tum Nahi samjhi

हमारी दोस्ती और प्यार के बीच की पतली लकीर
कब मैंने पर की , नहीं पता

उन नजदीकियों का सबब मैंने बताना चाहा था मगर
तू नहीं समझी

संग चाहता था तुम्हारा सदा के लिए ,
लेकिन कैसे कहता तुमसे

तुम्हारे लिए अपना प्यार जताना चाहा था मैंने पर
तू नहीं समझी

कभी झांक कर मेरी आँखों में देखा होता
सारी दास्तान पड़ लेते तुम

बे-इन्तेहाह प्यार झलकता था इनसे मगर
तुम नहीं समझी

Saturday, December 19, 2009

Yaaron

Yaaron, Dosti badi hi haseen hai

Yeh na ho to kya fir, bolo yeh zindagi hai

Koi to ho raazdaar, begaraz tera ho yaar

Koi to ho raazdaar,

Yaaron, Mohabbat hi to bandagi hai

Yeh na ho to kya fir bolo yeh zindagi hai

Koi to Dilbar ho yaar, Jisko tujhse ho pyaar

Koi to Dilbaar ho yaar.

Teri harek burai pe daanten woh dost.

Gham ki ho dhoop to saya bane, tera woh dost

Naache bhi woh teri khushi main….

Are Yaaron ! Dosti badi hi haseen hai

Yeh na ho to kya fir, bolo yeh zindagi hai

Koi to ho raazdaar, begaraz tera ho yaar

Koi to ho raazdaar…..

Tan man kare tujhe pe fida, Mehboob woh

Palkon pe jo rakhe tujhe Mehboob woh

Jiski wafa tere liye ho….

Are Yaaron ! Mohabbat hi to bandagi hai

Yeh na ho to kya fir bolo yeh zindagi hai

Koi to Dilbar ho yaar, Jisko tujhse ho pyaar

Koi to Dilbaar ho yaar.

Feelings

मैं खुद का नसीब मनाता हू
जब भी तेरे करीब आता हू

आ भी जाओ के याद आती है
कब मैं तुम्हे रोज़ बुलाता हू

यू तो आसां है भुला देना
रोज़ ही आपको भुलाता हू

आज तो याद ही नहीं आई आपकी
मैं भी कभी झूठ बोल जाता हू

What I feel for you

तुम ना करो अपने जज़्बात अयाँ
हम तो करेंगे

हम दिल में छिपा कर सब कुछ
सिर्फ आह ना भरेंगे

जो यार मिला है हमको
वो बड़ा खामोश सही

खुदा ने दी हमको जुबान
हम तो इजहार करेंगे

मरते दम तक
तुमको यूही परेशान करेंगे

इतना चाहेंगे के तुमको
के खुद तुमको हैरान करेंगे

जी चाहता है

सोया है बेखबर से वो
नींद हमारे लूट कर

अब इस हुस्न पर मिट जाने को
जी चाहता है

तुझे छूने के बाद कोई और
ना छू पायेगा मेरे दामन को

तुझे छू कर ये कसम

खाने को जी चाहता है


चाँद सा चेहरा है तेरा
और नजर है बिजली

अब तेरी हर एक अदा पर
लुट जाने को जी चाहता है

haal-ae-dil

ले कर जो बैठे हम अपनी कलम को
क्या नजर हम तुम को पैगाम करे ,

दिल में उबलते शोले लिखे
या दर्द में डूबी जिंदगी तमाम लिखे ,

चाँद का जिक्र जो छेड़ेगे तो वीरान रात मिलेगी
फूलों की जो बात होगी तो शबनम में आन्शुओ की नमी होगी

तो अब तुम ही कहो क्या दर्द-ऐ-हाल लिखे
या रेत की तेरे फिसलते जज़्बात लिखे

यू तो मयस्सर है हमें हमारी दुनिया
एक वीराना छिप के बैठा है सीने में मेरे

डरता है चेहरा अपना दिखाता नहीं
है हमारे रूह-ऐ -चमन का किस्सा

फिर भी बयाँ हाल-ऐ- दिल करता
रूबरू जो हो जाए हमसे तुम , ऐसा क्या लिखे

जो दर्द दिल-ऐ -लहू का लफ्जों में बदल जाए,
ऐसा क्या पयाम लिखे

मेरी रूह के दर्द को जो समझ जाओ तुम
ऐसा क्या तराना लिखे

मेरे रिसते खामोश जखम, जो तेरी आँखों से बह जाए
हम कुछ ऐसा अपना हाल बयाँ करे

haawaon

फिजूल तेज हवाओं को दोष देता है
उसे चराग जलने का होसला कम है

तुम उसकी खामोश तबियत पे तंज मत करना
वो सोचता हैं बहुत और बोलता कम है