सोया है बेखबर से वो
नींद हमारे लूट कर
अब इस हुस्न पर मिट जाने को
जी चाहता है
तुझे छूने के बाद कोई और
ना छू पायेगा मेरे दामन को
तुझे छू कर ये कसम
खाने को जी चाहता है
चाँद सा चेहरा है तेरा
और नजर है बिजली
अब तेरी हर एक अदा पर
लुट जाने को जी चाहता है
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Wonderful poem....
ReplyDeleteKeep it up dear..........