Saturday, December 19, 2009

Yaaron

Yaaron, Dosti badi hi haseen hai

Yeh na ho to kya fir, bolo yeh zindagi hai

Koi to ho raazdaar, begaraz tera ho yaar

Koi to ho raazdaar,

Yaaron, Mohabbat hi to bandagi hai

Yeh na ho to kya fir bolo yeh zindagi hai

Koi to Dilbar ho yaar, Jisko tujhse ho pyaar

Koi to Dilbaar ho yaar.

Teri harek burai pe daanten woh dost.

Gham ki ho dhoop to saya bane, tera woh dost

Naache bhi woh teri khushi main….

Are Yaaron ! Dosti badi hi haseen hai

Yeh na ho to kya fir, bolo yeh zindagi hai

Koi to ho raazdaar, begaraz tera ho yaar

Koi to ho raazdaar…..

Tan man kare tujhe pe fida, Mehboob woh

Palkon pe jo rakhe tujhe Mehboob woh

Jiski wafa tere liye ho….

Are Yaaron ! Mohabbat hi to bandagi hai

Yeh na ho to kya fir bolo yeh zindagi hai

Koi to Dilbar ho yaar, Jisko tujhse ho pyaar

Koi to Dilbaar ho yaar.

Feelings

मैं खुद का नसीब मनाता हू
जब भी तेरे करीब आता हू

आ भी जाओ के याद आती है
कब मैं तुम्हे रोज़ बुलाता हू

यू तो आसां है भुला देना
रोज़ ही आपको भुलाता हू

आज तो याद ही नहीं आई आपकी
मैं भी कभी झूठ बोल जाता हू

What I feel for you

तुम ना करो अपने जज़्बात अयाँ
हम तो करेंगे

हम दिल में छिपा कर सब कुछ
सिर्फ आह ना भरेंगे

जो यार मिला है हमको
वो बड़ा खामोश सही

खुदा ने दी हमको जुबान
हम तो इजहार करेंगे

मरते दम तक
तुमको यूही परेशान करेंगे

इतना चाहेंगे के तुमको
के खुद तुमको हैरान करेंगे

जी चाहता है

सोया है बेखबर से वो
नींद हमारे लूट कर

अब इस हुस्न पर मिट जाने को
जी चाहता है

तुझे छूने के बाद कोई और
ना छू पायेगा मेरे दामन को

तुझे छू कर ये कसम

खाने को जी चाहता है


चाँद सा चेहरा है तेरा
और नजर है बिजली

अब तेरी हर एक अदा पर
लुट जाने को जी चाहता है

haal-ae-dil

ले कर जो बैठे हम अपनी कलम को
क्या नजर हम तुम को पैगाम करे ,

दिल में उबलते शोले लिखे
या दर्द में डूबी जिंदगी तमाम लिखे ,

चाँद का जिक्र जो छेड़ेगे तो वीरान रात मिलेगी
फूलों की जो बात होगी तो शबनम में आन्शुओ की नमी होगी

तो अब तुम ही कहो क्या दर्द-ऐ-हाल लिखे
या रेत की तेरे फिसलते जज़्बात लिखे

यू तो मयस्सर है हमें हमारी दुनिया
एक वीराना छिप के बैठा है सीने में मेरे

डरता है चेहरा अपना दिखाता नहीं
है हमारे रूह-ऐ -चमन का किस्सा

फिर भी बयाँ हाल-ऐ- दिल करता
रूबरू जो हो जाए हमसे तुम , ऐसा क्या लिखे

जो दर्द दिल-ऐ -लहू का लफ्जों में बदल जाए,
ऐसा क्या पयाम लिखे

मेरी रूह के दर्द को जो समझ जाओ तुम
ऐसा क्या तराना लिखे

मेरे रिसते खामोश जखम, जो तेरी आँखों से बह जाए
हम कुछ ऐसा अपना हाल बयाँ करे

haawaon

फिजूल तेज हवाओं को दोष देता है
उसे चराग जलने का होसला कम है

तुम उसकी खामोश तबियत पे तंज मत करना
वो सोचता हैं बहुत और बोलता कम है

Apne dil ki aag ko jinda rakho yaaron

उसूलों पे जो आंच आये तो टकराना जरुरी है
जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नज़र आना जरुरी है

थके हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटे
सलीकामंद साखों का लचक जाना जरुरी है

बहुत बेबाक आँखों मे ताल्लुख टिक नहीं पता
महोब्बत मे कशिश रखने को शरमाना जरुरी है

सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है खुदा है तो नजर आना जरुरी है

मेरी होंठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
के इसके बाद भी दुनिया मे कुछ पाना जरुरी है

geeli palke

गीली पलके कह जाती है
तनहा अकेली रातों को
ढूंढती ऐसा हमदम हू जो
रोक दे इन बरसातों को

दिल की धड़कन कहती है
आ थाम ले सूने हाथों को
आँखों की जुबानी सुन ले
इश्क की सारी बातों को

लफ्जों से क्या बयाँ करू
मैं इस दिल के सन जज्बातों को

naa jaane koun hu main

न जानू की कौन हूँ मैं,
लोग कहते है सबसे जुदा हूँ मैं,
मुझे तो प्यार हैं सब से,
पर, पता नही कितने प्यार करते हैं मुझसे,
मुश्किलो में फसने कि आदत मेरी,
बेवज़ह सपने देखने कि आदत मेरी।

मैं तो हूँ ही मनचला,
जो मन किया उसी राह पर चल पड़ा,
आसमान से लगता नही है डर,
मुश्किले आयेगी बहुत मगर,
ज़मीन पर चलना भी नही चाहता,
मैं तो बस सबसे अलग बनना चाहता।

फिर भी पता नही हैं जाना कहाँ हैं,
कुछ रास्ते तो दिख रहे हैं,
पर लक्ष्य लापता हैं,
और अगर यहीं जिन्दगी हैं,
तो वो भी मिलेगी यहीं कहीं,
मैं तो हूँ ही, तेरी तलाश में।

मेरे साथ कुछ कदम चलो तुम ज़रा,
पता नही है मेरे हमसफर का,
काश के ये जवाब हम जान पाते,
तुम्हे अपने दिल कुछ जगह दे पाते,
फिर न रहते हम अकेले,
जो साथ तुम कभी चलते।

जाते जाते समय की रेत पर,
कुछ निशान छोड़ कर जाऊंगा,
दुनिया याद करे ऐसी पहचान ,
बन कर दिखाऊंगा,
मै हर दिल मे,..............

paani ki lehran

वो पानी की लहरों पे क्या लिख़ रहा था .....
खुदा जाने हर्फ-ऐ-दुआ लिख़ रहा था ........

लिखे थे जिसने वफ़ा के माने अधूरे ..........
वो शख्स प्यार की इन्तेहा लिख़ रहा था.....

ज़रा उसकी आँख से एक अंशु ना निकला....
वो जिस वक़्त लफ्ज-ऐ सजा लिख़ रहा था..

मोहब्बत में नफरत मिली थी उसे ............
वो हर एक शख्स को बे-वफ़ा लिख़ रहा था ..

इस कदर ज़माने वालो ने उसको सताया .....
वो प्यार के जज्बे को गुनाह लिख़ रहा था ...

ek choti si arzoo dil ki

या खुदा आज ये फैसला कर दे
उसे मेरा या मुझे उसका कर दे

बहुत दुःख सहे है मैंने
अब तो कोई ख़ुशी मुकद्दर कर दे

बहुत मुश्किल लगता है उससे दूर रहना
जुदाई के सफ़र को अब तो कम कर दे

नहीं लिख़ा नसीब में उसका नाम तो खत्म कर दे ये जिंदगी
और मुझे फना कर दे - विक्की